तू जी तो सही!
आतीं हैं कठिनाइयाँ कभी
आते हैं कभी तूफ़ान
तू दो कदम चल कर तो देख, पर
तू चलने से पहले क्यूँ गिर जाता है
पर्वत से लड़ने की ज़रुरत नहीं
आग में तपने की ज़रुरत नहीं
तू होश में रहकर तो देख , पर
तू जलने से पहले क्यूँ राख हो जाता है
हवा के साथ उड़ तो सही
लहरों के संग बह तो सही
तू अपनी कश्ती पार कर लेगा, पर
तू तैरने से पहले क्यूँ डूब जाता है
क्या सच नहीं क्या झूठ नहीं
क्यूँ इसकी पहचान करता नहीं
सच का दामन पक्कड़ कर तो देख, पर
तू सच बोलने से पहले क्यूँ डर जाता है
आज मरना या कल मरना
तू मरण से क्यूँ घबराता है
तू जी तो सही, पर
तू जीने से पहले क्यूँ मर जाता है
तू जी तो सही,
तू जी तो सही, पर
तू जीने से पहले क्यूँ मर जाता है