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नारी शक्ति

हे नारी ! तुम प्रबल हो, खुद को अबला न कहलाओ

दुर्गा तुम, अम्बा भी तुम, बस अपने सूरज को जगाओ

 

अत्याचारों के भय से, न तुम खुद को क़ैद करो

बस आत्म विश्वास की शक्ति की, लौ को तुम बुझने न दो

 

ज़िम्मेदारियों के बोझ तले, ख्वाहिशों को घुटने न दो

बहुत जी लिया दूजों के लिए, खुद को भी कुछ साँसें दो

 

पंख दिए तुमने कितनों को, कितनों को उड़ना सिखलाया

बाहें फैलाए ताके है अम्बर, अब तो अपनी उड़ान भरो  

 

व्यर्थ न समझो खुद का जीवन, हीन न जानो अपने सपने

चाँद भी तुम, सूरज भी तुम, अपनी गरिमा को पहचानो

 

तुम ही शक्ति, तुम ही भक्ति, नारी तुम ही जीवन हो

मत भूलो तुम सूरज हो, चिंगारियों से तुम न घबराओ

 

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