पृकृति की प्रतिक्रिया
यह तो बस एक प्रतिक्रिया थी,
कुदरत का एक रुदान था ।
इंसान ने जो उसको छेड़ा,
उसके खिलाफ उफान था ।
गंगा को अपवित्र किया,
तो उसने खुद को धो डाला ।
सब कुछ पाने के लालच में,
इंसान ने सब कुछ खो डाला ।
यह तो बस एक प्रतिक्रिया थी,
कुदरत का एक रुदान था ।
इंसान ने जो उसको छेड़ा,
उसके खिलाफ उफान था ।
गंगा को अपवित्र किया,
तो उसने खुद को धो डाला ।
सब कुछ पाने के लालच में,
इंसान ने सब कुछ खो डाला ।