Stories That Matters

Every Thought Matters

रिटायरमेंट

सारी उम्र गुज़ारी मैंने, ज़िन्दगी की दौड़- धूप में

कभी अपनों के तो कभी गैरों के ख़ुशी ग़म में

 

धन दौलत के इज़ाफ़े की मसरूफ़ियत में,

लगता है ख्वाहिशों की फेहरिस्त कहीं गुम हो गयी

 

अब मिला है कुछ वक़्त, खुद के साथ चंद लम्हे गुज़ारने का

कुछ अधूरे सपने पूरे करने का, कुछ सुकूँ से दिन गुज़ारने का,

 

ज़िन्दगी की रफ़्तार कुछ धीमी हो गयी है,

मगर हर पल की बेचैनी भी कम हो गयी है

 

मुतमइन हूँ अब, अपना वक़्त किताबों के समंदर में गुज़ारता हूँ,

कभी अल्फ़ाज़ों में डूब जाता हूँ, तो कभी अदभुत ज्ञान के मोती समेट लाता हूँ

 

अब तो बस नए देश, नयी प्रान्त की यादें जोड़ना चाहता हूँ

कुछ नए अंदाज़ से ज़िन्दगी से रूबरू होना चाहता हूँ

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