Stories That Matters

Every Thought Matters

अधूरी दास्तान

न चैन तम्हारी आँखों में, न दिल को मेरे करार था

वो छुप छुप के मिलना ज़माने की नज़रों से

क्या वो मोहब्बत का इज़हार था ?

 

कुछ ख़्वाब हमने भी देखे थे

कुछ इशारे तुमने भी किये थे शायद

सिलसिले शुरू हुए तो थे, क्या इश्क़ उसी का नाम था

 

वो दास्तान जो उस ज़माने में आगाज़ हुई

किस्सा बन लबों पे खिली तो थी

मगर दिल से रूह तक का सफर, शायद कुछ लम्बा सा था

 

वो दास्तान आज भी अधूरी है, वो मोहब्बत आज भी प्यासी है

आवाज़ रूह तक पहुँच तो गयी,

मगर अधूरी दास्तान , मुकम्मल होना बाकी है

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