अल्फ़ाज़
अल्फ़ाज़
कुछ बिखरे,
कुछ सहमे
अल्फ़ाज़
कुछ रूखे,
कुछ सहरा से सूखे
अल्फ़ाज़
कुछ प्यार की बारिश में भीगे
कुछ आँखों की नमीं से गीले
अल्फ़ाज़
कुछ रिश्तों की दास्ताँ बयां करते
कुछ खुद की उलझनों से जूझते
अल्फ़ाज़
कुछ ज़हन में छुपे डर को हवा करते
कुछ ज़ख्मों को मलहम मलते
अल्फ़ाज़
कुछ ख्वाहिशें बुनते
कुछ ख्वाबों को हकीक़त की नज़र करते
अल्फ़ाज़
कुछ एहसासात का आग़ाज़ करते
कुछ एहसासात को अंजाम देते
अल्फ़ाज़
ज़िन्दगी की गाँठों को खोलते
उलझाते, सुलझाते, उलझाते
दिल ओ दिमाग की आवाज़
ये अल्फ़ाज़
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