Stories That Matters

Every Thought Matters

कविता: आशाएँ

ज़िन्दगी की तन्हाईयों में

सपनों की गहराईयों में

सफ़लता की उम्मीद में

खुशियों की दहलीज़ पे

आशाएँ ही हौंसला बँधाती हैं

आशाएँ ही रहगुज़र बन जाती हैं

 

क्यों अपने ग़म में लीन है तू

क्यों रिश्तों से नाउम्मीद है तू

क्यों विश्वास खुद से है उठ गया

क्यों खुदा से भी मन उचट गया

रख भरोसा ऐ बन्दे कि कल की भोर नई आशाएं लाएगी

आशाओं से सहनशक्ति खुद ब खुद आ जाएगी

 

सूरज की पहली किरणों से

चन्द्रमा की बढ़ती आकृति तक

शिखर की दूभर ऊँचाई से

सिं धु की अमिट गहराई तक

आशाएँ ही हाथ थाम ले जाती हैं

आशाएँ ही मंज़िल तक पहुँचाती हैं

 

तूफ़ानो से टकराने की

उलझनों को सुलझाने की

ख़्वाहिशों को मुक्कमिल करने की

परिश्रम से न घबराने की

आशाएँ ही स्पर्द्धा दिलाती हैं

आशाएँ ही जीवन धारा चलाती हैं





…..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *