Stories That Matters

Every Thought Matters

जाम – ए – फ़ुरसत

दुनिया से उम्मीद ना रखूँ
तो ही अच्छा है,
जाम मैं पीता हूँ दुनिया को
फ़ुरसत ही कहाँ है ?

 

तुम भी पूछते हो
क्यों इतनी पीता हूँ ?
जवाब मालूम नहीं मगर
तुम्हारा सवाल अच्छा है।




मेरे बहकते क़दमों को
गिनने वालों,
ज़रा नज़र उठाओ
सीने में दिल भी रखा है।

 

एक जाम उठाओ
शाम को गले लगाओ
दिन की भागदौड़ में
बोलो क्या रखा है ?




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