सवेरा
देखो एक नया साल आया,
एक नई उम्मीद भरी, एक सुनेहरी सुबह लाया,
नई उमंग, नई आशायें, नया जज्बा,
संग लेकर आया सपनो भरा एक उजाला,
कभी ना हो निराश, ना हो परेशान,
सोचो कि पंखों से भरनी हैं उड़ान,
खुले आसमान में जैसे पंछी डग हैं भरते,
एैसे ही एक जहान अपना बनाना है चलते चलते,
कभी छॉंव होगी, तो कभी होगी धूप,
बस कहीं भी, और कभी भी नहीं जाना रुक,
के जीवन हो ऐसा जैसे एक बहता पानी,
चलता रहे सदा की इसको मंज़िल हैं पानी|
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