Stories That Matters

Every Thought Matters

उस आंगन से नाता टूटा…

माँ  के  गर्भ में शुरु हुआ 

मेरे जीवन का अध्याय…

उस आंगन से नाता टूटा, 

जहाँ  बचपन दिया बिताय!

 

बाबुल के घर की छत में 

अलहड़पन कि य़ादे रही समाय…

वो भी क्या दिन थे सखियों संग 

बाग के पेड़ चढ़े चोरी से आम रही चुराय।

→अब उस आंगन से नाता टूटा, जहाँ बचपन दिया बिताय!




बाबुल के घर की दीवारों ने 

गुडडे गुड़िया के खेल के किस्से दोहराय 

पता ही न चलता कब खेल खेल में 

हम खुद गुडडे गुड़िया बन जाएं।

→अब उस आंगन से नाता टूटा, जहाँ बचपन दिया बिताय!

 

बाबुल के घर की देहलीज़ ने  

मुझे देखा है शादी के जोड़े में शर्माये,

माँ – बाबा मेरी डोली सजी है, कर दो विदा 

खुशी खुशी बिना आँसू  बहाए। 

→कि अब उस आंगन से नाता टूटा, जहाँ बचपन दिया बिताय!




Image: Indianbelle blog

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *