समंदर
मैं अक्सर पूछता था,
ए खुदा मुझे ये बता कि मैं कौन हूँ, क्या है मुकद्दर मेरा.
कहाँ छुपा रखा है तूने एहसासों का समंदर मेरा,
मैं अक्सर पूछता था कि ज़िन्दगी जीने का क्या साज़ है,
ये गम और ख़ुशी का क्या राज़ है!
एक दिन कुछ खोने पे अजीब सा गम हुआ,
न चाहते हुए भी आँख मेरा नम हुआ
और फिर हुआ ये एहसास मुझे कि मेरे ही सवालो में छुपे हैं ए खुदा जवाब मेरे
और जिस समंदर और राज़ की मुझे तलाश है वो तो छुपा है अंदर मेरे!!!