Stories That Matters

Every Thought Matters

ये ज़िन्दगी

कभी ज़िन्दगी ने उलझाया हमें

कभी हम ज़िन्दगी को उलझाते रहे

 

ज़िन्दगी के हर सवाल पर

बेवजह अपनी शख़्सियत आज़माते रहे

 

कभी अंकुश तो कभी सैलाब

हज़ारों जज़्बातों से खुद को बहलाते रहे

 

और इस दौड़ धूप में पता ही न चला

ज़िन्दगी कब रेत की तरह हाथों से फिसल गई

 

अब चंद बचे ज़र्रों से

फिर से रेत का महल बनाने की कोशिश में लगे हैं





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