Bitiya…
मैं हु किसी की बिटिया
किसी के दिल की चिठिया
लिखना किसी ने है
पढ़ना किसी ने, मैं हु किसी की बिटिया….
माँ के दिल के तारों का साज़ हु
बाबा के सर पर सजता ताज हु
बहनो के संग में गुड़िया का खेल हु
वीरो को देती राखी का मेल हु, मैं हु किसी की बिटिया….
बाबुल के अंगना को रोशन किया है
माँ की ममता को आदर दिया है
रिश्ते सभी मेरे आने से महके
मोरे भी देखो मेरी चेहको पे चहके, मैं हु किसी की बिटिया….
झूलीं हु झूलों में मैं जिस अंगना
ले जायेंगे इक दिन डोली में सजना
सास ससुर को माँ बाबा जणू
देवर ननंद को भाई बहन, मैं हु किसी की बिटिया….
आत्म बल से करू आत्म रक्षा
अपने स्वाभिमान की करती हु पूजा
जीत हो मेरे नारीत्व की
देव भी करते है मेरा मान, मैं हु किसी की बिटिया….
आज के इस संसार में
माँ को भी छोड़ा ना इंसान ने
करने को स्वयं की रक्षा धारणा पड़ा चंडी रूप है
देवी माँ का इस युग में सबला स्त्री ही प्रतिरूप है,
मैं हु किसी की बिटिया….