कुछ ऐसी बातें
वो कहते हैं तुमसे बताया न गया
और हमें लगा हमसे छुपाया न गया
लगता है कुछ अल्फ़ाज़ समां ही ले गया
वरना अंजाम ऐसा मुलाक़ात का
हमें गंवारा न था
हाँ कुछ बातों के फूल ऐसे भी थे
जो लब पर आ कर भी बिखरे नहीं
कुछ एहसास की कलियाँ ऐसी भी थीं
जो खिलने को बेक़रार रह गईं
मग़र
मग़र हर लफ्ज़ का मिलन ज़ुबाँ से हो
और हर एहसास को लफ़्ज़ों में बयां करना
मुमकिन हो
ऐसा तो दरकार नहीं
कुछ बातें ज़हन में ही महफ़ूज़ हैं
ये उन्हें समझाना नामुमकिन है
फिर भले ही वो कहते रहें
तुमने हमें कुछ बताया ही नहीं